डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल हापुड़ में धूमधाम से मनाया गया बैसाखी उत्सव


सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति देकर छात्र छात्राओं ने जमकर बटोरी तॉलियां

हापुड़ । डीएवी पब्लिक स्कूल हापुड़ में बैसाखी का त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रधानाचार्य डॉ विनीत त्यागी के द्वारा सभी छात्रों को बैसाखी की शुभ कामनाओं के साथ किया गया । कक्षा चार, सात व कक्षा दस के विद्यार्थियों के द्वारा रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।

बैसाखी, जिसे वैसाखी भी कहा जाता है, एक प्रमुख त्योहार है जो हर साल 13 या 14 अप्रैल को मनाया जाता है। यह पर्व मुख्यतः पंजाब और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में मनाया जाता है। बैसाखी का महत्व धार्मिक, सांस्कृतिक और कृषि से जुड़ा हुआ है। बैसाखी का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व बैसाखी का दिन सिख धर्म में विशेष महत्व रखता है क्योंकि इसी दिन 1699 में दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। इस दिन को ‘खालसा सृजन दिवस’ के रूप में भी जाना जाता है। इस दौरानअरदास, नगर कीर्तन और विशेष लंगर का आयोजन किया जाता है।

बैसाखी रबी फसल की कटाई का समय होता है, विशेषकर गेहूं की। किसान इस दिन भगवान का धन्यवाद करते हैं और अच्छे भविष्य की कामना करते हैं। पंजाब में यह पर्व नई ऊर्जा और उत्साह के साथ मनाया जाता है।बैसाखी का दिन भारतीय इतिहास में भी महत्वपूर्ण है क्योंकि 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर में जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ था, जिसने स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी। बैसाखी केवल एक धार्मिक या कृषि पर्व नहीं है, बल्कि यह एकता, समर्पण और उत्सव का प्रतीक है। यह दिन हमें अपने इतिहास, संस्कृति और परंपराओं की याद दिलाता है और समाज में भाईचारे और सहयोग की भावना को प्रोत्साहित करता है। कार्यक्रम का समापन करते हुए माननीय प्रधानचार्य डा. विनीत त्यागी ने कहा कि किसान अपनी मेहनत के द्वारा उगाई गई गेहूँ की फसल को समेटने की ख़ुशी में इस त्योहार को नृत्य, संगीत व भांगड़ा इत्यादि के माध्यम से प्रसन्नता प्रगट करते हैं।

आगामी भीमराव अंबेडकर के जन्मोत्सव पर प्रधानाचार्य डॉ विनीत त्यागी ने उनके द्वारा देश के लिए किए गए कार्यों तथा उनकी उपलब्धियों के बारे में विद्यार्थियों को जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हमें भी उनके आदर्शों एवं सिद्धांतों का अनुसरण करना चाहिए ।

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