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मुज़फ्फरनगर में भट्टा मज़दूरों ने घोषित मजदूरी न मिलने पर उठाई आवाज़, वित्त अधिकारी को सौंपी शिकायत

मुज़फ्फरनगर। ईंट-भट्टों की तपती भट्टियों में पसीना बहाकर भी जब मेहनतकश मज़दूरों को उनका हक़ न मिले, तो दर्द और आक्रोश लाजिमी है। ऐसा ही मामला जनपद मुज़फ्फरनगर के ग्राम बुडीना कला से सामने आया है, जहां श्रमिकों ने सरकारी आदेशों की अवहेलना कर घोषित मजदूरी न देने और अपमानित कर भट्टे से भगाए जाने के आरोपों के चलते ज़िला वित्त अधिकारी को शिकायती पत्र सौंपा है।

सरकारी आदेशों को ठेंगा, श्रमिकों से किया अन्याय
प्राप्त जानकारी के अनुसार, मै० अमन विकार फोड, मै० गायको ब्रिक्स फोल्ड और मैं शिव ब्रिक्स फोल्ड नामक भट्टों पर काम कर रहे मजदूरों का कहना है कि उन्होंने फरवरी से जून 2025 तक कड़ी मेहनत की। सरकार द्वारा 24 अक्टूबर 2025 से मार्च 2025 तक के लिए 679.25 रुपये तथा अप्रैल 2025 से सितंबर 2025 तक के लिए 699.58 रुपये प्रतिदिन की दर से न्यूनतम मजदूरी घोषित की गई थी। इसके बावजूद भट्टा मालिकों ने इस तयशुदा दर पर भुगतान नहीं किया।

अपमान और धमकियों की हदें पार
श्रमिकों का आरोप है कि जब उन्होंने मेहनत का सही हक़ मांगा, तो भट्टा स्वामियों ने उन्हें अपशब्द कहकर अपमानित किया और धमकियों के साथ भट्टे से बाहर निकाल दिया। मजदूरों ने बताया कि भट्टा मालिकों की इस दबंगई से उनकी रोज़ी-रोटी पर संकट खड़ा हो गया है।

‘हम मेहनत करते हैं, भीख नहीं मांगते’
शिकायत में श्रमिक अश्वनी कुमार ने ज़िला वित्त अधिकारी को बताया कि मजदूर अपनी मेहनत की उचित मज़दूरी मांग रहे हैं, भीख नहीं। सरकार द्वारा तय मजदूरी को न देना केवल ग़रीब मजदूर का शोषण ही नहीं, बल्कि सरकार के आदेशों की भी खुली अवहेलना है।

न्याय न मिला तो होगा आंदोलन
मजदूरों ने चेतावनी दी है कि अगर उन्हें जल्द न्याय नहीं मिला और घोषित मजदूरी का भुगतान नहीं कराया गया, तो वे मजबूर होकर धरना-प्रदर्शन करेंगे और अपना आंदोलन तेज़ करेंगे। उनका कहना है कि “हम अपने बच्चों का पेट पालने के लिए खून-पसीना बहाते हैं, अगर फिर भी हमें न्याय नहीं मिला, तो सड़क पर उतरकर संघर्ष करना पड़ेगा।”

भट्टों पर शोषण की कहानी कोई नई नहीं
मुज़फरनगर समेत पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ईंट-भट्टों पर मजदूरों का शोषण, कम मजदूरी देना और धमकी देकर काम से निकालना कोई नई बात नहीं है। मगर इस बार मजदूरों ने खुलकर आवाज़ बुलंद की है, जिससे उम्मीद है कि प्रशासन नींद से जागेगा और उन्हें न्याय मिलेगा।

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