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मुजफ्फरनगर होटल-ढाबा नेम प्लेट विवाद पर राकेश टिकैत का अनोखा फार्मूला: लाल-हरी बिंदी से सुलझेगा मामला

मुजफ्फरनगर। पिछले कई दिनों से मुजफ्फरनगर में होटल और ढाबा मालिकों के नेम प्लेट विवाद ने तूल पकड़ लिया है। इस मामले में अब किसान नेता और भाकियू राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने बीच-बचाव करते हुए एक अनोखा और सरल फार्मूला पेश किया है, जिससे विवाद को खत्म करने की उम्मीद जताई जा रही है।

राकेश टिकैत ने कहा कि होटल या ढाबा पर नाम लिखने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने साफ किया कि जो होटल नॉनवेज खाना परोसते हैं, वे अपने होटल पर लाल रंग की बिंदी लगाकर ‘नॉनवेज’ लिखें और जो वेज खाना परोसते हैं, वे हरे रंग की बिंदी लगाकर ‘वेज’ लिखें। उनका मानना है कि नामों या जाति के आधार पर होटल अलग-अलग होने से देश में विभाजन होगा, जो कतई सही नहीं।

भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता टिकैत ने कहा, “हिंदू नॉनवेज खाते हैं और जो नॉनवेज नहीं खाते, वे सिर्फ वेजिटेरियन होते हैं। इसमें किसी भी धर्म या जाति का कोई विवाद नहीं है। हमने महाराष्ट्र से यह फार्मूला लिया है, जहां पर वेजिटेरियन होटल पर हरे रंग में और नॉनवेज होटल पर लाल रंग में बड़े अक्षरों में स्पष्ट लिखा जाता है, ताकि लोग आसानी से पहचान सकें।”

उन्होंने आगे कहा कि दुकान या होटल पर जाति या धर्म के नाम लिखने से कोई समाधान नहीं होगा। “यहां जितने भी मुस्लिम होटल हैं, वे अपने काम से जाने जाते हैं। हमें इस विवाद को खत्म करना होगा और जातिगत मतभेदों को बढ़ावा नहीं देना चाहिए।”

साथ ही टिकैत ने कावड़ यात्रा और सामाजिक मुद्दों पर भी अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि कावड़ यात्रा में बढ़ती चुनौतियों पर सामाजिक लोग और सरकार मिलकर काम करें। उन्होंने बच्चों की सेहत को लेकर चिंता जताई और धर्म परिवर्तन के मुद्दे पर भी अपना तर्क रखा। टिकैत ने कहा कि अगर लोग अपना नाम बदलते हैं तो उसे सत्यापित करना चाहिए ताकि किसी प्रकार की धोखाधड़ी या विवाद न हो।

वहीं, डीजे विवाद पर टिकैत ने कहा कि डीजे की आवाज, साइज और हाइट बढ़ानी चाहिए और जनरेटर की क्षमता भी बढ़ाई जाए। उन्होंने कहा कि प्रशासन को डीजे कम करने का दबाव नहीं बनाना चाहिए, क्योंकि त्योहारों और धार्मिक आयोजनों में यह जरूरी है। इसके अलावा, उन्होंने मीडिया कर्मियों पर भी तंज कसते हुए कहा कि जो लोग विवाद बढ़ा रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

राकेश टिकैत का यह सुझाव विवादित नेम प्लेट मामले में नया दृष्टिकोण लेकर आया है और इसे सुलह का रास्ता माना जा रहा है। उनका यह फार्मूला समाज में शांति और सौहार्द बढ़ाने का प्रयास है।

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