जेल के अंदर बने उत्पाद को परिसर के बाहर खुला आऊटलेट
मेरठ। चौधरी चरण सिंह जिला कारागार मेरठ में बंद बंदियों के हाथ के हुनर जेल के बाहर दिखाई देना आरंभ हो गया है। जिलाकारगार के बाहर जेल प्रशासन की ओर से ऑऊट लेट खोला गया है। जिसमें जिलाकारागार में बंद बंदियाेें द्वारा हाथ से बनाई गयी फुटबॉल , राखी , थैले ,ट्रेक सूट , जूट के बने आईटम आदि को रखा गया है। सामाजिक संस्था वीरीना फांउडेशन की ओर से आगरा जिला जेल में बंद बंदियाें द्वारा बनाए गये स्पोर्टस सूज, लैदर सूज , चप्पल को आऊट लेट में रखा गया है। जिनकी कीमत बाजार भाव से कम रखी गयी है।
डॉ. वीरेश राज शर्मा, वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने बताया कि मेरठ जिला जेल में सुधार और पुनर्वास के क्षेत्र में सुधार किए जा रहे है। उन्होंने बताया जेल के अंदर 2600 बंदी मौजूद है। जिसमें कुछ सजा याफ्ता बंदी । काफी बंदी ऐसे हैजो हुनरमंद है। इसमें कुछ महिलाएं बंदी भी शामिल है।जिला कारागार में बंद बंदियाें को हुनर बंद बनाया जा रहा है। जिला कारागार में बंद महिला बंदी पुरूष कारागार में बंदियाें द्वारा फुटबाॅल बनायी जा रही है। वहीं महिला बंदियाे द्वारा राखी, जूट के थेल, कपड़े के थैले, आर्टिफिसियल आईटम बनाए जा रहे है। बंदियों के हाथ से बने आईटम को जेल परिसर के बाहर बने आऊट में रखा जा रहा है। विभिन्न जेलों के बीच उत्पादों और विचारों का आदान-प्रदान के तहत सामाजिक संगठन आऊट लेट में आगरा जेल में बंद बदियों द्वारा हॉथ से बनाए गये लैदर व स्पोर्टस सूज व लेदर की चप्पलों को रखा गया है। जिसकी काफी ब्रिकी हो रही है।
जिला कारागार कें अंदर बनी फुटबॉल को ऑस्ट्रेलिया व जर्मनी में धूम मचा रही है। महाकुंभ में यहां से के बने उत्पादाें को काफी प्रसंद किया गया है। जिसने यह साबित कर दिया कि यदि अवसर दिया जाए, तो बंदी भी आत्मनिर्भर और सम्मानजनक जीवन की ओर बढ़ सकते हैं। मेरठ जेल ने सुधार और पुनर्वास का एक प्रेरणादायी मॉडल प्रस्तुत किया है। यह पहल न केवल बंदियों के जीवन को सकारात्मक दिशा देने का कार्य करेगी, बल्कि पूरे प्रदेश की जेल व्यवस्थाओं के लिए एक नया आदर्श भी स्थापित करेगी — जहाँ दंड नहीं, दूसरा अवसर प्रमुख हो।
फाउंडेशन के संस्थापक धीरेंद्र सिंह की दूरदृष्टि और निःस्वार्थ सेवा भावना ने जेल सुधार की परिभाषा को नए सिरे से गढ़ा है। बंदियों का हुनर अब जेल से बाहर भी दिखाई दे रहा है।