मुजफ्फरनगर। मुजफ्फरनगर की नई मंडी थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत तिगरी स्थित वीर बालाजी पेपर मिल में रविवार सुबह दर्दनाक हादसा हो गया। इस हादसे ने पूरे गांव को झकझोर कर रख दिया। हादसे में जहां 30 वर्षीय अंकित शर्मा की दर्दनाक मौत हो गई, वहीं चार अन्य मजदूर गंभीर रूप से घायल हो गए। मृतक अंकित शर्मा अपने पीछे दो मासूम बच्चों और बिलखता हुआ परिवार छोड़ गया है। हादसे के बाद गांव में कोहराम मच गया, परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।
मौके पर सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण इकट्ठा हो गए और पेपर मिल को बंद कराने की मांग को लेकर जमकर नारेबाजी की। ग्रामीणों का आरोप है कि यह पेपर मिल वर्षों से गांव के लिए मुसीबत बनी हुई है – कभी प्रदूषण से तो कभी हादसों से।
‘पहले ही जीना दुभर था, अब तो जान ही ले ली…’
ग्राम प्रधान तिगरी ने आरोप लगाया कि यह पेपर मिल अधिकारियों से साठगांठ कर हर शिकायत को दबा देती है। उन्होंने बताया, “गांव वाले पहले ही इस मिल से निकलने वाले धुएं और रसायनों के चलते बीमार हो रहे थे। आए दिन छोटे-बड़े हादसे होते रहते हैं, मगर कोई कार्रवाई नहीं होती। अब तो एक युवक की जान भी चली गई, पर मिल का मालिक फोन तक उठाने को तैयार नहीं है। यह सरासर लापरवाही और अमानवीयता की हद है।”
परिजनों का छलका दर्द
मृतक अंकित शर्मा के परिजनों ने भी मिल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए। परिजनों का कहना है कि हादसा तो देर रात ही हो गया था, मगर सुबह करीब पांच बजे उन्हें फोन कर इसकी सूचना दी गई। परिजनों ने सवाल उठाया कि आखिर इतनी देर क्यों की गई? उन्होंने शासन-प्रशासन से मांग की कि पीड़ित परिवार को तुरंत मुआवजा दिया जाए, जिससे अंकित के छोटे-छोटे बच्चों का भविष्य सुरक्षित रह सके।
‘मौत की फैक्ट्री’ को बंद करने की मांग
ग्रामीणों में इस हादसे के बाद भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि वीर बालाजी पेपर मिल उनके लिए मौत का कुआं बन चुकी है। एक तरफ प्रदूषण से सांस लेना मुश्किल, दूसरी ओर सुरक्षा के नाम पर सिर्फ कागजी खानापूर्ति। मिल में काम करने वालों की जिंदगी भगवान भरोसे है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही कार्रवाई नहीं हुई और पेपर मिल को बंद नहीं किया गया, तो वे बड़े आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।
प्रशासन की भूमिका पर सवाल
अब सवाल उठ रहे हैं कि प्रशासन ने इस पेपर मिल की लगातार मिलती शिकायतों पर आखिर क्यों आंखें मूंद रखी थीं? क्या मिल मालिक के रसूख के चलते कार्रवाई नहीं की गई? ग्रामीणों की पीड़ा यही कहती है कि इंसान की जान से ज्यादा इस मिल के मुनाफे को तरजीह दी जा रही है।
फिलहाल घायलों का इलाज अलग-अलग अस्पतालों में चल रहा है। हादसे की असली वजह क्या थी, यह जांच का विषय है, मगर गांव में गुस्सा इतना है कि अगर जल्द न्याय न मिला, तो हालात और भी बिगड़ सकते हैं।