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कांवड़ यात्रा में 60 डेसिबल से अधिक न हो डीजे की आवाज- एस.टी. हसन

मुरादाबाद। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद डॉ. एस.टी. हसन ने कांवड़ यात्रा को लेकर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने कहा कि कांवड़ यात्रा धार्मिक आस्था से जुड़ी एक पवित्र यात्रा है, लेकिन इसमें बजने वाले तेज आवाज वाले डीजे कई बार आम जनता के लिए परेशानी का कारण बनते हैं।

उन्होंने कहा, “जब तेज आवाज में डीजे बजते हैं, तो घरों की खिड़कियां झनझनाने लगती हैं, दिल के मरीज परेशान हो जाते हैं, और कुछ तो अपने कान तक बंद कर लेते हैं।” उन्होंने ध्वनि प्रदूषण के नियमों का हवाला देते हुए कहा कि डीजे की आवाज 60 डेसिबल से अधिक नहीं होनी चाहिए, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट और उत्तर प्रदेश सरकार की गाइडलाइंस में स्पष्ट रूप से कहा गया है।

डॉ. हसन ने सुझाव दिया कि सरकार को कांवड़ यात्रा के लिए एक अलग सड़क बनानी चाहिए, जिसे ‘कांवड़ पथ’ कहा जाए। यह पथ हरिद्वार से मुरादाबाद, बरेली और गढ़ तक बनाया जाए ताकि श्रद्धालुओं को सुविधा मिले और आम लोगों को असुविधा न हो। साथ ही उन्होंने कहा कि डीजे की ऊंचाई भी निर्धारित मानक के अनुसार 12 फीट से अधिक नहीं होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि ध्वनि प्रदूषण से मरीजों को गंभीर दिक्कत होती है। तेज आवाज के कारण सड़क किनारे खड़े लोग, खासकर बीमार और बुजुर्ग, डर जाते हैं या वहां से हटने को मजबूर हो जाते हैं। अगर तय मानकों का पालन हो, तो किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए।

भारतीय किसान यूनियन के नेता नरेश टिकैत ने कांवड़ यात्रा में डीजे पर पूरी तरह से रोक लगाने की मांग की थी। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए डॉ. हसन ने कहा, “मैं डीजे पर पूरी तरह रोक लगाने के पक्ष में नहीं हूं, क्योंकि यह धार्मिक आस्था का मामला है। सुप्रीम कोर्ट ने जो मानक तय किए हैं, अगर कोई उन्हें लांघता है तो प्रशासन को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।”

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान और तंजीम फातिमा को लेकर चल रही चर्चाओं पर भी उन्होंने बयान दिया। उन्होंने कहा, “रामपुर और सैफई परिवारों में सब कुछ ठीक है। हो सकता है तंजीम फातिमा किसी बात से क्षणिक नाराज हुई हों, लेकिन कोई गंभीर मतभेद नहीं है।”

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