प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल प्रयागराज की बदहाली पर तीखी टिप्पणी की है। कहा कि प्रयागराज मेडिकल माफियाओं की पकड़ में है। यहां इलाज नहीं हो रहा। गरीब असहाय मरीज दलालों के चंगुल में हैं। सरकारी अस्पताल से मरीजों को निजी अस्पतालों में ले जाकर इलाज करा रहे हैं।
कोर्ट ने कहा निजी मेडिकल माफिया से सरकारी अस्पतालों को खतरा है। इस पर तुरंत नकेल लगनी चाहिए। कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल, अस्पताल नहीं शव विच्छेदन गृह बन गया है।
यह तीखी टिप्पणी न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकलपीठ ने मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर डा अरविंद गुप्ता की याचिका की सुनवाई करते हुए की। जिन्होंने निजी नर्सिंग होम में मरीज का इलाज किया। लापरवाही के कारण उसने इन्हें जिला उपभोक्ता फोरम व राज्य उपभोक्ता फोरम के चक्कर लगवा दिए। फोरम से मायूस डाक्टर ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो चाल उल्टी पड़ गई।
कोर्ट ने सरकारी डाक्टरों के प्राइवेट प्रैक्टिस पर सवाल खड़े कर सरकार से कड़ी कार्रवाई कर रिपोर्ट पेश करने को कहा। और प्रयागराज के सरकारी अस्पताल एस आर एन की हालत पर रिपोर्ट मांगी। लीपापोती देख हाईकोर्ट ने दो अधिवक्ताओं को न्यायमित्र के रूप में मौके की स्थिति पर रिपोर्ट मांगी।जिसकी अंतरिम रिपोर्ट ने व्यवस्थाकारों की पोल खोलकर रख दी।
अस्पताल में दवा नहीं, आई सी यू के एयरकंडिशनर एवं निजी व सामान्य वार्ड के पंखे खराब पड़े मिले। पांच में से तीन एक्स-रे मशीन खराब पड़ी है। परिसर में सीबर लाइन जाम है। सड़कों की हालत चलने लायक नहीं। डायग्नोस्टिक मशीन काम नहीं कर रही।
कोर्ट ने प्रभारी अधीक्षक को कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया। कहा जरूरत पड़े तो पुलिस बुला ले। ए सी, कूलर पंखों की मरम्मत कराये। कोर्ट ने कहा, प्रयागराज में महाकुंभ में 66.30 करोड़ लोगों ने संगम स्नान किया। भला हुआ कोई बड़ी घटना नहीं हुई। अन्यथा लोगों का इलाज करना संभव न होता।कोर्ट ने कहा मेडिकल माफिया, एस आर एन अस्पताल के चिकित्सा अधिकारी व स्टाफ का गठजोड़ बना हुआ है।
प्रभारी अधीक्षक ने माना अस्पताल में सुविधाओं की भारी कमी है। कोर्ट ने कहा राज्य, जिला प्रशासन मेडिकल सुविधाएं देने में विफल है। यहां कैबिनेट मंत्री रहते हैं। अस्पताल की हालत खराब है। जिम्मेदार अधिकारी सुविधा मुहैया कराने की ड्यूटी पूरी नहीं कर रहे। सरकारी अस्पताल को निजी अस्पतालों की जकड़ में छोड़ रखा है। सरकारी सेक्टर प्राइवेट सेक्टर के हाथों बर्बाद हो रहा। कोर्ट अपनी आंखें बंद नही रख सकती।
कोर्ट ने कई निर्देश जारी किए। कहा नगर आयुक्त अस्पताल परिसर व सीवर लाइन की सफाई कराये। प्रभारी अधीक्षक सहयोग दे। जल निगम को एक हफ्ते में फंड दिया जाय। लोक निर्माण विभाग सड़कों की मरम्मत हो। प्रभारी अधीक्षक सभी डाक्टरों की ड्यूटी की सूची जिलाधिकारी को दे जो अखबार में इस सूची को प्रकाशित कराये। ताकि लोगों को जानकारी हो सके। परिसर में सी सी टी वी कैमरे से ड्यूटी की निगरानी की जाय।
जिलाधिकारी परिसर में तीमारदारों के लिए पेय जल की व्यवस्था करें। सीएमओ शव विच्छेदन गृह के आसपास साफ सफाई व सेनेटाइजेशन कराये। फोटो वीडियो बनाने पर रोक लगे, उल्लघंन कोर्ट की अवमानना होगी।
कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर को अस्पताल में सुरक्षा गार्ड बढ़ाने का आदेश दिया। साथ ही मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के प्रवेश पर रोक लगे। लान का उपयोग शादी व सेमिनार के लिए न किया जाय। अस्पताल के बाहर अवैध दवा की दूकाने हटाई जाय। मेडिकल दलालों पर ऐक्शन हो।
कोर्ट ने प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य उ प्र से न्यायमित्र की अंतरिम रिपोर्ट का जवाब मांगा है और कहा है कि लापरवाह के खिलाफ ऐक्शन ले। अस्पताल में सुविधाओं की कमी न रहे। आदेश की जानकारी मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव को दी जाय। प्रभारी अधीक्षक भी रिपोर्ट पर जवाब दाखिल करें। याचिका की अगली सुनवाई 29 मई को होगी।