नई दिल्ली। भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत की गई जवाबी कार्रवाई की पृष्ठभूमि और मंशा को स्पष्ट करते हुए पाकिस्तान को सीधा कटघरे में खड़ा किया है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने आज मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि भारत के पास पुख्ता सबूत हैं कि पाकिस्तान वर्षों से आतंकियों की शरणस्थली बना हुआ है। उन्होंने कहा कि भारत ने यह कार्रवाई नपे-तुले, सटीक और आत्मरक्षा के अधिकार के तहत की है।
मिस्री ने कहा कि हालिया पहलगाम हमला 26/11 के बाद सबसे भीषण और बर्बर आतंकी घटना है, जिसमें निर्दोष पर्यटकों को उनके परिवारों के सामने सिर पर गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया गया। उन्होंने कहा कि यह हमला न सिर्फ मानवता के खिलाफ था, बल्कि इसका उद्देश्य जम्मू-कश्मीर में सामान्य स्थिति को बिगाड़ना और राष्ट्र के प्रतीकों को नुकसान पहुंचाना था।”
उन्होंने बताया कि इस हमले के जरिये कश्मीर के पर्यटन और आर्थिक विकास को निशाना बनाया गया, जो पिछले वर्ष 2 करोड़ से अधिक पर्यटकों के आगमन से मजबूत हो रहा था।
विदेश सचिव ने स्पष्ट किया कि हमले के पीछे द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) नामक आतंकी संगठन का हाथ है, जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ है।
उन्होंने कहा कि टीआरएफ पाकिस्तान स्थित आतंकी समूहों का ‘कवर संगठन’ है, जिसका इस्तेमाल लश्कर जैसे गुट अपने नापाक इरादों के लिए करते हैं।”
उन्होंने यह भी बताया कि हमलावरों की पहचान हो चुकी है, और उनके पाकिस्तान से संपर्क की पुष्टि प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों और सोशल मीडिया पोस्ट्स के जरिए हुई है।
मिस्री ने जोर देते हुए कहा कि यह हमला भारत में सांप्रदायिक तनाव फैलाने के उद्देश्य से किया गया था, लेकिन देशवासी एकजुट हैं और आतंकी मंसूबे नाकाम हुए हैं। “भारत आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रहा है, और यह कार्रवाई इसी नीति का हिस्सा है,” उन्होंने कहा अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि पाकिस्तान को आतंकवाद के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जाए और उसके खिलाफ कड़े कदम उठाए जाएं।