“ना सुनवाई, ना सुरक्षा… मुज़फ्फरनगर की बेटी की चीखें अब SSP के दरबार में!”

मुज़फ्फरनगर। शिक्षा का मंदिर कहे जाने वाले कॉलेज और महिला सुरक्षा के नाम पर बने हेल्पलाइन नंबर—दोनों ही शर्मसार हो चुके हैं। मुज़फ्फरनगर और शामली से सामने आई दो दर्दनाक घटनाओं ने सिस्टम पर करारा तमाचा मारा है। एक ओर कॉलेज का प्रोफेसर तीन साल तक छात्रा का यौन शोषण करता रहा, दूसरी ओर एक युवती 1090 हेल्पलाइन और पुलिस की अनदेखी से मानसिक और सामाजिक प्रताड़ना सहती रही। सवाल यह है—”कब सुनेगा सिस्टम?”

कॉलेज में प्रोफेसर का तीन साल से यौन शोषण, छात्रा की आत्महत्या की कोशिश
मुज़फ्फरनगर के चौधरी छोटू राम डिग्री कॉलेज की बीएससी की छात्रा ने कॉलेज के ही प्रोफेसर पर यौन शोषण, मानसिक उत्पीड़न और आत्महत्या के लिए उकसाने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं।

छात्रा का आरोप है कि प्रोफेसर उसे पास कराने के नाम पर निजी संबंधों का दबाव बनाता था। “अगर मैं मना करती तो वह फेल करने और करियर बर्बाद करने की धमकी देता,” छात्रा ने कहा। धीरे-धीरे यह शोषण बढ़ता गया—अश्लील चैटिंग, वीडियो कॉल, फोटो और धमकियाँ।

डर और समाज के तानों की वजह से छात्रा लंबे समय तक चुप रही, लेकिन जब हालात बेकाबू हो गए तो उसने जाट महासभा और देहाती फिल्मों के कलाकार विकास बालियान से मदद ली। छात्रा ने बताया कि वह डिप्रेशन में चली गई और एक बार तो आत्महत्या की भी कोशिश की। 1090 पर कई बार शिकायत दी, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

जाट महासभा का मोर्चा और आरोपी प्रोफेसर की गिरफ्तारी
जाट महासभा के पदाधिकारी कॉलेज पहुंचे और साफ चेतावनी दी—”यदि दो दिन में कार्रवाई नहीं हुई, तो आंदोलन होगा।” इसके दबाव के बाद पुलिस हरकत में आई और आरोपी प्रोफेसर को कॉलेज से ही गिरफ्तार कर लिया गया। छात्रा की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर आगे की जांच शुरू कर दी गई है।

युवती की अस्मिता से खेलता रहा दुष्यंत, 1090 भी बनी बेअसर
युवती ने दुष्यंत नामक युवक पर मानसिक, शारीरिक और सामाजिक शोषण का आरोप लगाया है। पीड़िता का कहना है कि आरोपी बार-बार वीडियो कॉल, अश्लील मैसेज और वायरल वीडियो की धमकी देकर उसे प्रताड़ित करता रहा। 21 मई 2025 को पीड़िता ने 1090 महिला हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराई। बयान भी हुआ—but “नतीजा – शून्य।” आरोपी अब भी खुलेआम घूम रहा है और युवती खौफ में जी रही है।

बेटियाँ चीखीं, लेकिन सिस्टम सोया रहा
इस घटना से एक ही बात सामने आई—बेटियाँ बार-बार गुहार लगाती रहीं है, लेकिन पुलिस और हेल्पलाइन सिर्फ कागज़ी खानापूर्ति करती रहीं। “जिस ख़ामोशी को कमजोरी समझा गया, वही अब गूंज बन गई है। बेटियाँ अब चुप नहीं रहेंगी।”

अब सवाल जनता के हैं:
क्या शिक्षा के मंदिर अब शोषण के अड्डे बन चुके हैं?

क्या 1090 महिला हेल्पलाइन सिर्फ प्रचार तक सीमित रह गई है?

क्या बेटियों को न्याय के लिए वीडियो वायरल या आत्महत्या की कोशिश करनी पड़ेगी?

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