नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान की ओर से नियंत्रण रेखा (LoC) पर लगातार गोलीबारी की जा रही है। पिछले दो दिनों में पाकिस्तानी सेना ने कई बार फायरिंग की, जिसका भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया है।
भारतीय सेना ने जानकारी दी है कि 25-26 अप्रैल की रात को कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पार पाकिस्तानी सैन्य चौकियों से बिना किसी उकसावे के छोटे हथियारों से फायरिंग की गई। जवाब में भारतीय सैनिकों ने भी छोटे हथियारों से सटीक कार्रवाई की। हालांकि, इस गोलीबारी में अब तक किसी के हताहत होने की खबर नहीं है।
इससे पहले शुक्रवार को भी पाकिस्तानी सेना ने LoC पर फायरिंग की थी, जिसका भारतीय जवानों ने पूरी मुस्तैदी से जवाब दिया था।
गौरतलब है कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलियां चलाई थीं। हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी। आतंकियों ने पर्यटकों के नाम पूछ-पूछकर निशाना बनाया। इस हमले के बाद केंद्र और राज्य स्तर पर सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट पर हैं।
इस हमले के बाद भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर पहुंचे। उन्होंने वहां सुरक्षा बलों की तैयारियों का जायजा लिया और वरिष्ठ सैन्य कमांडरों के साथ बैठक कर सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की।
जनरल द्विवेदी ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल और राज्य पुलिस महानिदेशक (DGP) से भी मुलाकात की और विस्तृत जानकारी ली। इसके अलावा उन्होंने सेना की उत्तरी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिंद्र कुमार, सेना के उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा, और 15 कोर के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल प्रशांत श्रीवास्तव के साथ LoC पर सैन्य तैयारियों की भी समीक्षा की।
पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने सिंधु जल समझौते को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया है। इसके तहत पाकिस्तान को भारत से मिलने वाली नदियों का जल अब रोका जा सकता है। भारत के इस कदम से पाकिस्तान हताश और तिलमिलाया हुआ है।
भारत ने साफ कहा है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता, तब तक सिंधु जल संधि स्थगित ही रहेगी।
आर्मी चीफ जनरल द्विवेदी ने अपनी यात्रा के दौरान विक्टर फोर्स और 15 कोर मुख्यालय का दौरा किया। यहां उन्हें जम्मू-कश्मीर में मौजूदा सुरक्षा स्थिति की विस्तृत जानकारी दी गई। इस दौरान सुरक्षा तंत्र, अल्पकालिक व दीर्घकालिक उपायों, और सुरक्षा एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय पर खास जोर दिया गया।
सेना प्रमुख की इस यात्रा को जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा को और मज़बूत करने की दिशा में एक निर्णायक कदम माना जा रहा है।