कोलकाता। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ भड़के हिंसक प्रदर्शन के बाद प्रशासन ने सख्त कदम उठाया है। समसेरगंज और सुती थाना क्षेत्रों के प्रभारी अधिकारियों को हटा दिया गया। ये दोनों इलाके हालिया हिंसा से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए थे।
जिला पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी दी कि यह फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि हिंसा के दौरान हुई तीन मौतों में से दो समसेरगंज और एक सुती में हुई थी। “इन दोनों पुलिस थानों की जिम्मेदारी अब ज्यादा अनुभवी और वरिष्ठ अधिकारियों को सौंपी गई है,” अधिकारी ने बताया।
सूत्रों के मुताबिक, पूर्व थाना प्रभारियों के खिलाफ प्रमुख शिकायत यह थी कि वे खुफिया तंत्र के जरिए यह अंदाजा लगाने में नाकाम रहे कि विरोध प्रदर्शन इतना उग्र और हिंसक रूप ले सकता है। हालांकि, राज्य पुलिस ने आधिकारिक रूप से यह नहीं स्वीकारा कि उनका तबादला इसी वजह से हुआ है। पुलिस ने इसे “नियमित प्रशासनिक फेरबदल” बताया है।
राज्य पुलिस के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने गुरुवार को पुष्टि की कि खुफिया तंत्र की विफलता से जुड़ी शिकायतों की समीक्षा की जा रही है। साथ ही यह भी कहा गया कि चूंकि इन थानों को हाल ही में अपग्रेड कर इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारियों की तैनाती का फैसला लिया गया था, इसलिए उप-निरीक्षक स्तर के पुराने प्रभारियों को हटाया गया।
अब सुब्रत घोष को समसेरगंज थाना और सुप्रिय रंजन माजी को सुती थाना का प्रभारी निरीक्षक नियुक्त किया गया है।
इस बीच, मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा को लेकर राज्य सरकार पर चौतरफा दबाव बढ़ रहा है। भाजपा ने इस हिंसा के लिए ममता बनर्जी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। वहीं, राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम शुक्रवार को मालदा और मुर्शिदाबाद का दौरा करेगी। टीम उन पीड़ित महिलाओं से भी मुलाकात करेगी जिन्हें हिंसा के चलते अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर शरण लेनी पड़ी।