नई दिल्ली। गुरुवार का दिन भगवान विष्णु और देवगुरु बृहस्पति की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत और विधि-विधान से पूजा करने से बुद्धि, वाणी, व्यापार, संतान सुख, धन और समृद्धि में वृद्धि होती है।
अग्नि पुराण के अनुसार, देवगुरु बृहस्पति ने काशी में शिवलिंग की स्थापना कर तपस्या की थी, जिससे गुरुवार को विशेष महत्व प्राप्त हुआ है। वहीं स्कंद पुराण के अनुसार, इस दिन व्रत करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।
इस व्रत को किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार से शुरू कर सकते हैं और लगातार 16 गुरुवार तक व्रत रखा जाता है। इस दिन पीले वस्त्र धारण करना, पीले फूल, पीले फल और चने की दाल का दान करना विशेष फलदायी होता है। भगवान विष्णु को हल्दी अर्पित करने से भी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
गुरुवार के दिन विद्या की देवी की पूजा करने से ज्ञान में वृद्धि होती है और गरीबों को अन्न तथा धन का दान करने से विशेष पुण्य मिलता है। धार्मिक मान्यता है कि केले के पत्ते में भगवान विष्णु का वास होता है, इसलिए इसकी पूजा करना शुभ होता है।
व्रत और पूजा की विधि:
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें
पूजा स्थल को शुद्ध करें और गंगाजल छिड़कें
केले के वृक्ष की जड़ में चने की दाल, मुनक्का और गुड़ अर्पित करें
दीपक जलाकर कथा सुनें और बृहस्पति भगवान की आरती करें
व्रत में पीले रंग के खाद्य पदार्थों का सेवन न करें
तिथियों की जानकारी (3 जुलाई 2025):
अष्टमी तिथि: सुबह 2:06 बजे तक
नवमी तिथि: इसके बाद प्रारंभ
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:58 से दोपहर 12:53 तक
सूर्य: मिथुन राशि में
चंद्रमा: कन्या से तुला राशि में प्रवेश करेगा