नई दिल्ली। हमारा शरीर रोज़ाना तनाव, थकान और असंतुलित जीवनशैली से जूझता है। ऐसे में यदि हम दिन का थोड़ा समय योग को दें, तो न केवल शरीर को ऊर्जा मिलती है, बल्कि मन को भी शांति मिलती है। आयुष मंत्रालय के अनुसार, योग तनाव को कम करने में प्रभावी है और इससे शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है।
सभी योगासनों में से एक महत्वपूर्ण आसन है — सेतुबंधासन। यह आसन न सिर्फ रीढ़, पीठ और गर्दन को मजबूती देता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी बेहद लाभकारी माना जाता है। खासतौर पर वे लोग जो दिनभर ऑफिस में कुर्सी पर बैठे रहते हैं, उनके लिए यह आसन अत्यंत फायदेमंद है।
मानसिक और भावनात्मक लाभ
आयुष मंत्रालय के अनुसार, सेतुबंधासन तनाव और अवसाद को कम करने में मदद करता है। यह मन को शांत करता है, बेचैनी और थकान जैसे लक्षणों को दूर करता है और नींद की गुणवत्ता में सुधार लाता है। साथ ही, यह हार्मोन के संतुलन को बनाए रखता है, जिससे मूड बेहतर होता है और मन प्रसन्न रहता है। मानसिक थकान से जूझ रहे लोगों के लिए यह एक सरल और असरदार उपाय है।
शारीरिक लाभ
सेतुबंधासन पेट, फेफड़ों और थायरॉयड ग्रंथि को सक्रिय करता है। इससे पाचन क्रिया बेहतर होती है, पेट की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और फेफड़ों की क्षमता में वृद्धि होती है, जिससे सांस संबंधी समस्याएं कम होती हैं।
यह आसन थायरॉयड ग्रंथि के कार्य को संतुलित करता है, जिससे हार्मोन से जुड़ी कई समस्याओं का खतरा कम हो जाता है।
मांसपेशियों को मिलती है ताकत
यह आसन विशेष रूप से रीढ़ की हड्डी, पीठ, टांगों, टखनों और नितंबों (ग्लूट्स) की मांसपेशियों को मजबूत करता है। जब शरीर को ऊपर उठाया जाता है, तो रीढ़ सीधी होती है और पीठ को मजबूती मिलती है। टांगों और टखनों में खिंचाव आता है, जिससे उनमें ताकत बढ़ती है और शरीर में सहनशक्ति भी विकसित होती है।
महिलाओं के लिए विशेष लाभ
सेतुबंधासन मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं जैसे पेट दर्द, चिड़चिड़ापन और थकान को कम करता है। इसके अभ्यास से शरीर में खिंचाव और विश्राम का अनुभव होता है। मेनोपॉज़ के दौरान भी यह योगासन गर्मी लगने, मूड स्विंग और मानसिक तनाव को दूर करने में सहायक होता है। यह हार्मोन संतुलन को बनाए रखकर शरीर और मन दोनों को राहत देता है।
सेतुबंधासन करने का सही तरीका
- पीठ के बल योगा मैट पर सीधे लेट जाएं।
- दोनों हाथ शरीर के पास रखें, हथेलियां ज़मीन की ओर हों।
- घुटनों को मोड़ें और पैरों को धीरे-धीरे कूल्हों (हिप्स) के पास लाएं।
- गहरी सांस लेते हुए धीरे-धीरे अपने कूल्हों को ऊपर उठाएं ताकि शरीर पुल (सेतु) जैसा आकार ले ले।
- इस स्थिति में कुछ समय तक रहें और सांस सामान्य रखें।
- फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए शरीर को वापस ज़मीन पर लाएं और विश्राम करें।