नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के साथ हुई ऐतिहासिक ‘सिंधु जल संधि’ को स्थगित करने का फैसला किया है। शुक्रवार को इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल के बीच करीब 45 मिनट तक उच्चस्तरीय बैठक हुई।
यह अहम बैठक गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर आयोजित की गई, जिसमें तात्कालिक, मध्यकालिक और दीर्घकालिक रणनीतियों पर विस्तार से चर्चा की गई। बैठक के बाद मीडिया को जानकारी देते हुए जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने कहा, “मोदी सरकार द्वारा सिंधु जल संधि पर लिया गया यह ऐतिहासिक निर्णय पूरी तरह से न्यायसंगत और राष्ट्रहित में है। हम सुनिश्चित करेंगे कि पाकिस्तान को सिंधु नदी का एक बूंद पानी भी न मिले।”
उन्होंने बताया कि सरकार तुरंत प्रभाव से पानी साझा करने के सभी संभावित रास्तों पर काम शुरू करेगी। नदियों की गाद निकालने और जलप्रवाह को मोड़ने जैसे तकनीकी उपायों पर तेजी से काम होगा ताकि पाकिस्तान की ओर जाने वाले पानी को रोका जा सके।
गौरतलब है कि सिंधु जल संधि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई थी, जिसमें सिंधु नदी प्रणाली के जल के उपयोग को लेकर स्पष्ट प्रावधान किए गए थे। इस संधि के तहत भारत तीन पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास और सतलुज) और पाकिस्तान तीन पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम और चिनाब) के जल का उपयोग करता रहा है। लेकिन अब, भारत ने आतंकी हमलों के जवाब में इस संधि को स्थगित कर पाकिस्तान पर जल दबाव बनाने की रणनीति अपनाई है।