लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने समाजवादी पार्टी (सपा) पर दलित वोटों के लिए तनाव और हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है। उन्होंने सपा की गतिविधियों और बयानों को संकीर्ण स्वार्थ की राजनीति बताते हुए दलित, पिछड़े और मुस्लिम समाज से सतर्क रहने की अपील की है।
सोशल मीडिया मंच X पर मायावती ने पोस्ट करते हुए लिखा कि अन्य पार्टियों की तरह सपा द्वारा भी दलितों को आगे करके तनाव व हिंसा का माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है। इनके अति विवादित बयानों, आरोप-प्रत्यारोप और कार्यक्रमों का जो सिलसिला चल रहा है, वह इनकी संकीर्ण स्वार्थ की राजनीति को दर्शाता है। सपा भी दलित वोटों के लिए किसी भी हद तक जा सकती है।”
मायावती ने आगे कहा कि “दलितों के साथ-साथ पिछड़े और मुस्लिम समाज को भी इन उग्र बयानों और बहकावे में नहीं आना चाहिए। उन्हें सपा जैसे राजनीतिक हथकंडों का शिकार बनने से बचना चाहिए।”
बसपा सुप्रीमो ने यह भी कहा कि अवसरवादी दलित नेताओं को दूसरों के इतिहास पर टिप्पणी करने के बजाय अपने संतों, गुरुओं और महापुरुषों की शिक्षा और संघर्षों को समाज के सामने लाना चाहिए, जिनके कारण वे आज किसी योग्य बन पाए हैं।
इससे पहले मायावती ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के वरिष्ठ पदाधिकारियों और जिला अध्यक्षों के साथ एक अहम बैठक की। बैठक में पार्टी संगठन की समीक्षा की गई और आगामी रणनीतियों पर चर्चा हुई।
इस दौरान उन्होंने भाजपा पर भी निशाना साधा। मायावती ने कहा कि”डबल इंजन की भाजपा सरकारें सपा सरकार की तरह ही कुछ खास क्षेत्र और वर्ग के लोगों के लिए समर्पित हैं। इससे उत्तर प्रदेश का बहुप्रतीक्षित विकास प्रभावित हो रहा है।”
उन्होंने दावा किया कि बसपा की पूर्ववर्ती सरकारों में सभी वर्गों को न्याय और विकास में उचित भागीदारी मिली।
“हमने कानून द्वारा कानून का राज स्थापित किया और खासकर दलितों, पिछड़ों, महिलाओं, किसानों और बेरोजगारों के अधिकारों की रक्षा की। इससे राज्य में अमन-चैन का माहौल रहा।”
मायावती ने अंत में भाजपा को सलाह देते हुए कहा कि “धर्म को कर्म के बजाय कर्म को धर्म मानकर कार्य करना चाहिए, यही संविधान सम्मत और जनहितकारी रास्ता है।”