मुर्शिदाबाद हिंसा में तीन की मौत, हालात तनावपूर्ण; वक्फ कानून संशोधन के खिलाफ प्रदर्शन ने पकड़ा उग्र रूप

कोलकाता/मुर्शिदाबाद। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ कानून में संशोधन के खिलाफ एक समुदाय विशेष द्वारा किए जा रहे विरोध-प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया। प्रदर्शन के दौरान हुई झड़पों में तीन लोगों की मौत हो गई, जिनमें एक पिता-पुत्र की जोड़ी और एक नाबालिग शामिल है। जिले के समसेरगंज, धुलियान और सुती जैसे इलाकों में पिछले कुछ दिनों से लगातार तनाव बना हुआ है।

मरने वालों में हरगोबिंद दास और उनके बेटे चंदन दास शामिल हैं, जो समसेरगंज के धुलियान इलाके के निवासी थे। स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने उनकी बेरहमी से हत्या कर दी।
वहीं तीसरा मृतक एक नाबालिग है, जो शुक्रवार को सुती के साजुर क्रॉसिंग पर हुई झड़पों के दौरान गोली का शिकार हुआ। घायल अवस्था में उसे और उसके दोस्त को अस्पताल ले जाया गया था, लेकिन शनिवार को उसकी मौत हो गई।

राज्य के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADG) जावेद शमीम ने बताया कि अब तक मुर्शिदाबाद हिंसा के सिलसिले में 118 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। उन्होंने आमजन से अफवाहों से बचने और शांति बनाए रखने की अपील की है।

भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने इस हिंसा के लिए राज्य प्रशासन को जिम्मेदार ठहराते हुए सोशल मीडिया पर लिखा कि यह सब राज्य सरकार की “अनिच्छा और ढिलाई” का परिणाम है। उन्होंने एक तस्वीर साझा करते हुए कहा कि प्रशासन जानबूझकर उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई से बच रहा है।

मालवीय ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्य के पुस्तकालय सेवा मंत्री सिद्दीकुल्लाह चौधरी पर भी गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि ये नेता पहले से ही इस कानून को लेकर जनता को भड़काने का काम कर रहे थे। मालवीय ने चौधरी के उस कथित बयान का भी हवाला दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि “मुख्यमंत्री कार्यालय से फोन आया था कि इस भीड़ को देखकर मुख्यमंत्री खुश हैं।”

हिंसा की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को एक आधिकारिक बयान जारी किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार वक्फ संशोधन अधिनियम को बंगाल में लागू नहीं करेगी। यह पहली बार था जब मुख्यमंत्री ने इस विषय पर आधिकारिक रूप से स्थिति स्पष्ट की।

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