लोकसभा में पेश हुआ वक्फ संशोधन विधेयक,रिजिजू बोले – अगर संशोधन नहीं लाते तो संसद भी वक्फ प्रॉपर्टी हो जाती

नई दिल्ली। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार को लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पेश किया। विधेयक को पेश करते ही सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस शुरू हो गई। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने इस विधेयक को अल्पसंख्यक विरोधी बताते हुए विरोध दर्ज कराया और सरकार पर विधेयक को जल्दबाजी में लाने का आरोप लगाया।

लोकसभा में विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए किरेन रिजिजू ने बताया कि सरकार को इस विधेयक पर 97 लाख 27 हजार 772 याचिकाएं मिली हैं। साथ ही 284 प्रतिनिधिमंडलों ने अपनी राय दी है। उन्होंने कहा कि इतिहास में पहली बार किसी विधेयक को इतनी अधिक संख्या में याचिकाएं मिली हैं। कई कानूनी विशेषज्ञों, धार्मिक नेताओं और समुदायों ने अपने सुझाव दिए हैं। सरकार ने उन पर गंभीरता से विचार किया है।”

उन्होंने आगे कहा कि 2013 में यूपीए सरकार ने ऐसा प्रावधान जोड़ा, जिससे वक्फ बोर्ड के आदेश को किसी सिविल अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती थी। अगर यह प्रावधान जारी रहता, तो आज संसद भवन भी वक्फ संपत्ति घोषित हो सकता था।”

रिजिजू ने कहा कि दिल्ली वक्फ बोर्ड ने सीजीओ कॉम्प्लेक्स और संसद भवन जैसी संपत्तियों पर भी दावा किया था।
“1977 से इस मामले पर कानूनी विवाद चल रहा था, लेकिन 2013 में यूपीए सरकार ने विवादित संपत्तियों को वक्फ बोर्ड को सौंप दिया। इससे साफ है कि यदि हमने यह संशोधन नहीं किया, तो भविष्य में संसद भवन पर भी वक्फ संपत्ति का दावा किया जा सकता था।”

उन्होंने कहा कि आज कई लोग इस विधेयक को असंवैधानिक बता रहे हैं। लेकिन क्या 1923 में लाया गया ‘मुस्लिम वक्फ अधिनियम’ असंवैधानिक था? तब ट्रांसपेरेंसी और अकाउंटेबिलिटी को ध्यान में रखकर यह कानून बनाया गया था।”

रिजिजू ने 1995 में बने वक्फ ट्रिब्यूनल का जिक्र करते हुए कहा कि यह पहली बार था जब वक्फ संपत्तियों को लेकर एक कानूनी प्रक्रिया तय की गई थी। 1995 में पहली बार यह तय किया गया कि यदि वक्फ बोर्ड के फैसले से कोई असंतुष्ट है, तो वह ट्रिब्यूनल में अपील कर सकता है। यह व्यवस्था पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करने के लिए की गई थी।”

विधेयक को सदन में पेश करते ही कांग्रेस, टीएमसी और AIMIM सहित कई विपक्षी दलों ने विरोध करना शुरू कर दिया। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि हमें इस विधेयक की प्रति देर से मिली, जिससे हम इसकी समीक्षा नहीं कर पाए। सरकार जल्दबाजी में इसे पारित करवाना चाहती है।”

लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने कहा कि संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने इस विधेयक पर पर्याप्त विचार-विमर्श नहीं किया। सरकार का इरादा एक असंवैधानिक और अल्पसंख्यक विरोधी कानून लाने का है, जो राष्ट्रीय सद्भाव को बाधित कर सकता है।”

लोकसभा में विपक्षी सांसदों के हंगामे के बाद स्पीकर ओम बिड़ला ने विधेयक पर 8 घंटे की चर्चा का समय निर्धारित किया है। इसमें सत्ता पक्ष को 4 घंटे 40 मिनट,विपक्ष को 3 घंटे 20 मिनट मिलेंगे।

  1. वक्फ बोर्ड को सीमित अधिकार – अब वक्फ बोर्ड द्वारा घोषित संपत्ति को चुनौती दी जा सकेगी।
  2. महिलाओं को आरक्षण – वक्फ काउंसिल और स्टेट बोर्ड में महिला सदस्यों का अनिवार्य प्रतिनिधित्व होगा।
  3. मस्जिदों के प्रबंधन में सरकार का हस्तक्षेप नहीं – सरकार किसी भी मस्जिद के आंतरिक मामलों में दखल नहीं देगी।
  4. वक्फ ट्रिब्यूनल को सशक्त बनाना – वक्फ संपत्तियों से जुड़े मामलों के तेजी से निपटारे के लिए ट्रिब्यूनल को अधिक अधिकार दिए जाएंगे।

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