कीव/मॉस्को। इस्तांबुल में हुए दूसरे दौर की शांति वार्ता के बाद रूस ने यूक्रेन को एक विस्तृत युद्धविराम ज्ञापन सौंपा है, जिसमें शांति स्थापित करने के बदले कई गंभीर और एकतरफा शर्तें रखी गई हैं। इस ज्ञापन के सामने आने से दोनों देशों के बीच संभावित कूटनीतिक समाधान की राह और अधिक जटिल होती दिखाई दे रही है।
ज्ञापन दो भागों में विभाजित है। पहला भाग, जिसे “अंतिम समाधान के मुख्य मानक” कहा गया है, में रूस ने मांग की है कि यूक्रेन लुहान्स्क, दोनेत्स्क, ज़ापोरीझिया और खेरसोन—इन चार क्षेत्रों को रूसी क्षेत्र के रूप में मान्यता दे। इन इलाकों पर रूस ने 2022 से आक्रमण कर नियंत्रण स्थापित किया हुआ है।
इसके अतिरिक्त, रूस ने यूक्रेन से यह भी मांग की है कि वह स्वयं को एक तटस्थ राष्ट्र घोषित करे, अपनी सैन्य शक्ति में कटौती करे, रूस से किसी प्रकार की क्षतिपूर्ति की मांग न करे और रूस पर लगाए गए सभी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को हटाने की सिफारिश करे।
ज्ञापन का दूसरा भाग एक “पैकेज प्रस्ताव” के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जिसमें यूक्रेन से निम्नलिखित कदमों की अपेक्षा की गई है:
- सेना का चरणबद्ध निरस्त्रीकरण
- विदेशी हथियारों की आपूर्ति पर रोक
- देश में लागू मार्शल लॉ समाप्त करना
- राष्ट्रपति एवं संसदीय चुनाव शीघ्र कराना
रूसी सरकारी मीडिया के अनुसार, यह ज्ञापन सोमवार को यूक्रेनी प्रतिनिधिमंडल को सौंपा गया है। हालांकि, अब तक यूक्रेन की ओर से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
उधर, यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि वे किसी भी स्थिति में देश के किसी भूभाग का समर्पण स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने बार-बार यह दोहराया है कि जब तक रूस द्वारा कब्जाए गए सभी क्षेत्रों को वापस नहीं लिया जाता, तब तक युद्धविराम संभव नहीं है।