नई दिल्ली। भारत में जातिगत जनगणना को लेकर लंबे समय से चली आ रही अटकलों पर अब विराम लग गया है। केंद्र सरकार ने जातिगत जनगणना 2026-27 में कराने का फैसला लिया है, जो दो चरणों में आयोजित की जाएगी। इसका पहला चरण 1 अक्टूबर 2026 से शुरू होगा, जबकि दूसरा चरण 1 मार्च 2027 से शुरू किया जाएगा।
पहले चरण में उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख और जम्मू-कश्मीर जैसे पर्वतीय और बर्फीले क्षेत्र शामिल किए गए हैं। वहीं देशभर में जनगणना के लिए संदर्भ तिथि मार्च 2027 के पहले दिन (1 मार्च 2027 – 00:00 बजे) निर्धारित की गई है। जबकि बर्फीले क्षेत्रों के लिए यह 1 अक्टूबर 2026 को होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में जाति आधारित जनगणना को मंजूरी दी गई। इसकी आधिकारिक अधिसूचना 16 जून 2025 को राजपत्र में प्रकाशित की जाएगी।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी देते हुए कहा कि आज़ादी के बाद से जातिगत जनगणना नहीं हुई है। पिछली जनगणना 2011 में आयोजित की गई थी। यूपीए सरकारों पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकारों ने जाति जनगणना के बजाय जातीय सर्वे कराए, जो अक्सर राजनीतिक दृष्टि से प्रेरित और गैर-पारदर्शी थे।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि जनगणना जनगणना अधिनियम, 1948 और जनगणना नियम, 1990 के अंतर्गत की जाएगी। इससे पहले 2021 की जनगणना की भी तैयारियां पूरी हो चुकी थीं, लेकिन कोविड-19 महामारी के चलते प्रक्रिया को स्थगित कर दिया गया था।
इस बार जनगणना डिजिटल और तकनीकी रूप से अधिक सुदृढ़ होगी, जिससे अधिक पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सकेगी।