जम्मू। जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले के बुद्धल तहसील अंतर्गत तरगैन गांव में आसमानी बिजली गिरने से 100 से अधिक भेड़-बकरियों की मौत हो गई। यह हादसा उस समय हुआ जब खानाबदोश बकरवाल समुदाय के कई परिवार अपने मवेशियों के साथ ऊंचाई वाले चरागाहों की ओर मौसमी प्रवास पर थे और ‘ढोक’ नामक अस्थायी आश्रय स्थलों में रुके हुए थे।
इस प्राकृतिक आपदा ने प्रभावित परिवारों को न सिर्फ भावनात्मक आघात दिया है, बल्कि उनकी आजीविका पर भी गहरा असर डाला है, क्योंकि इन परिवारों की जीवनरेखा ही पशुधन पर आधारित है।
प्रभावित परिवारों में मोहम्मद अशरफ, सद्दाम हुसैन, माखन दीन, मोहम्मद फारूक, अजाज अहमद, फखर दीन, जावेद इकबाल और मोहम्मद आरिफ शामिल हैं। उन्होंने प्रशासन से तत्काल मुआवजा, वित्तीय सहायता और पुनर्वास की मांग की है। उनका कहना है कि यदि समय पर मदद नहीं मिली, तो उनके सामने भूखमरी और विस्थापन जैसी स्थिति खड़ी हो जाएगी।
घटनास्थल का मुआयना करने पहुंचे भेड़ पालन विभाग की टीम — जिसमें फ्लॉक सुपरवाइजर शाहबाज कमर और असिस्टेंट स्टॉकमैन लाल हुसैन शामिल थे — ने नुकसान का आकलन किया और एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है, जिसे आगे की कार्रवाई के लिए प्रशासन को सौंपा जाएगा।
बकरवाल खानाबदोश समुदाय हर वर्ष गर्मी के मौसम में अपने पशुओं को चराने के लिए ऊंचे घास के मैदानों की ओर पलायन करता है और सर्दियों की शुरुआत (अक्टूबर मध्य) में वापस निचले क्षेत्रों की ओर लौटता है। उनके लिए पशुधन ही जीवन की धुरी है, और ऐसी आपदाएं उनके अस्तित्व पर सीधा संकट खड़ा कर देती हैं।