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हास्य, श्रृंगार और व्यंग्य से सराबोर रही कल्पकथा की 198वीं काव्यगोष्ठी

नई दिल्ली। देशप्रेम, हिंदी भाषा, सद्साहित्य और सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित कल्पकथा साहित्य संस्था की 198वीं ऑनलाइन काव्यगोष्ठी शनिवार को आयोजित हुई। इस अवसर पर हास्य, व्यंग्य और श्रृंगार रस की रचनाओं ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता सहारनपुर (उप्र) के वरिष्ठ साहित्यकार सुनील कुमार खुराना ने की। संचालन की जिम्मेदारी भास्कर सिंह ‘माणिक’ और पवनेश मिश्रा ने निभाई। शुभारंभ नागपुर (महाराष्ट्र) के साहित्यकार विजय रघुनाथराव डांगे द्वारा संगीतबद्ध गुरु वंदना, गणेश वंदना और सरस्वती वंदना से हुआ।

गोष्ठी में विशेष रूप से रायपुर (छत्तीसगढ़) के लेखक प्रमोद पटले के साझा कहानी संग्रह “कहानियों का संगम” का ऑनलाइन विमोचन भी किया गया।

कार्यक्रम में नागपुर, रायपुर, सीवान, सहारनपुर, वाराणसी, गोपालगंज, जालौन, लेह-लद्दाख, दतिया, मुंबई और शामली समेत देशभर के रचनाकारों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। मंच पर बिनोद कुमार पांडेय, अवधेश प्रसाद मिश्र ‘मधुप’, दुर्गादत्त मिश्र ‘बाबा’, ज्योति राघव सिंह, डॉ. मंजू शकुन खरे, राम बहाल सिंह, राम सनेही ओझा, रमेश चंद्रा गौतम, राधा श्री शर्मा और पवनेश मिश्रा सहित कई कवियों ने अपनी सशक्त रचनाओं से कार्यक्रम को जीवंत किया।

अध्यक्षीय संबोधन में सुनील कुमार खुराना ने आयोजन की सराहना करते हुए सभी सृजनकारों को बधाई दी। अंत में संस्था की संस्थापिका राधा श्री शर्मा ने “हास्य साहित्य समाज का अभिन्न अंग है” इस विचार के साथ सभी का आभार जताया और “सर्वे भवन्तु सुखिनः” शांतिपाठ के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

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