नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर है। एक ओर पाकिस्तान मिसाइल परीक्षण कर दुनिया को अपनी सैन्य ताकत का दिखावा कर रहा है, तो दूसरी ओर उसकी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान की सैन्य तैयारियां इस समय बेहद कमजोर हालत में हैं। यदि भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध की स्थिति उत्पन्न होती है, तो पाकिस्तान महज तीन से चार दिन ही टिक पाएगा।
रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि पाकिस्तान के पास अब इतने संसाधन भी नहीं बचे हैं कि वह किसी पूर्ण युद्ध को ज्यादा दिनों तक जारी रख सके। बीते कुछ महीनों में पाकिस्तान ने भारी मात्रा में गोला-बारूद यूक्रेन और संभवतः इजरायल को निर्यात किया है। इसका सीधा असर उसकी अपनी रक्षा क्षमताओं पर पड़ा है।
फरवरी से मार्च 2023 के बीच पाकिस्तान ने करीब 42,000 बीएम-21 रॉकेट, 60,000 155 एमएम हॉवित्जर शेल्स और 1.3 लाख 122 एमएम रॉकेट यूक्रेन को निर्यात किए, जिससे उसे करीब 36.4 करोड़ डॉलर की आमदनी हुई। इसमें से 80 प्रतिशत धन सीधे रावलपिंडी स्थित पाकिस्तान आर्मी हेडक्वार्टर को प्राप्त हुआ। इस निर्यात के चलते पाकिस्तान की हथियार बिक्री से होने वाली वार्षिक आय 1.3 करोड़ डॉलर से बढ़कर 41.5 करोड़ डॉलर तक पहुंच गई, लेकिन इस लाभ के बदले उसने अपनी युद्ध क्षमता को स्वयं ही कमजोर कर लिया।
अब जबकि पाकिस्तान के पास गोला-बारूद की भारी कमी है, वह एक बार फिर अपनी पुरानी नीति ‘परदे के पीछे से हमला’ की ओर लौटता नजर आ रहा है। पहलगाम जैसे संवेदनशील पर्यटक स्थल पर हुआ आतंकी हमला इस बात का संकेत है कि पाकिस्तान अब आतंकवाद को एक रणनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है। यह हमला न केवल देश की आंतरिक सुरक्षा को चुनौती देने की कोशिश है, बल्कि पाकिस्तान की हताशा और विफलता का प्रमाण भी है।
भारत के मुकाबले पाकिस्तान की स्थिति अत्यंत कमजोर है। जहां एक ओर भारत लगातार अपनी सैन्य क्षमताओं को आधुनिक बना रहा है — चाहे वह राफेल जैसे लड़ाकू विमान हों, स्वदेशी तेजस, या फिर एडवांस मिसाइल सिस्टम — वहीं पाकिस्तान अब अपनी कमजोरियों को छुपाने के लिए आतंकवाद का सहारा ले रहा है।