मुजफ्फराबाद। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) की सरकार ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास बसे नागरिकों को खाद्य सामग्री और जरूरी सामान का स्टॉक करने का निर्देश जारी किया है।
पीओके के प्रधानमंत्री चौधरी अनवर-उल-हक ने स्थानीय विधानसभा में कहा कि एलओसी से सटे 13 निर्वाचन क्षेत्रों में अगले दो महीनों के लिए खाद्य आपूर्ति का भंडारण सुनिश्चित किया जाएगा। इसके लिए क्षेत्रीय सरकार ने एक अरब रुपये (करीब 3.5 मिलियन डॉलर) का आपातकालीन कोष बनाया है।
उन्होंने बताया कि एलओसी से सटे इलाकों में सड़क मरम्मत के लिए सरकारी और निजी मशीनरी तैनात की जा रही है, ताकि किसी भी स्थिति में आवाजाही बनी रहे।
इस बीच, पीओके में स्थित 1000 से अधिक मदरसों को कम से कम 10 दिनों के लिए बंद कर दिया गया है। स्थानीय प्रशासन के अनुसार, यह कदम भारत की ओर से संभावित सैन्य कार्रवाई की आशंका के चलते उठाया गया है। भारत का आरोप है कि इन मदरसों का उपयोग आतंकी ठिकानों के रूप में किया जाता रहा है।
स्थानीय लोगों का मानना है कि भारत पूर्ण युद्ध की बजाय सीमित सैन्य कार्रवाई कर सकता है, जैसा कि 29 सितंबर 2016 को ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ के दौरान देखा गया था। उस समय उरी हमले में 19 भारतीय सैनिकों की शहादत के बाद भारतीय सेना ने पीओके में घुसकर आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था।
इस बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना को “पूर्ण परिचालन स्वतंत्रता” देने की घोषणा की है। यह निर्देश 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम स्थित बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले के बाद आया है, जिसमें 26 लोगों की मौत हो गई थी। प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े टीआरएफ (द रेजिस्टेंस फ्रंट) ने हमले की जिम्मेदारी ली थी।
हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े कदम उठाए हैं, जिनमें 1960 के सिंधु जल संधि को निलंबित करना, अटारी इंटिग्रेटेड चेक पोस्ट को बंद करना और पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीज़ा सेवाओं को तत्काल प्रभाव से रोकना शामिल है।
इसके जवाब में पाकिस्तान ने भी शिमला समझौते को स्थगित कर दिया है, भारतीय उड़ानों के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया है और भारतीय नागरिकों के वीजा रद्द कर दिए हैं।