वक्फ संशोधन अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई, विपक्ष ने जताई संवैधानिक चिंता

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट आज वक्फ संशोधन अधिनियम पर सुनवाई करेगा। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अगुवाई वाली पीठ (जिसमें न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथ शामिल हैं) इस मामले की सुनवाई दोपहर 2 बजे से करेगी। इस सुनवाई में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं की दलीलें सुनी जाएंगी।

वक्फ अधिनियम, 1995 में हाल ही में किए गए संशोधनों के खिलाफ कई याचिकाएं दायर की गई हैं। इस संशोधन के क्रियान्वयन पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिकाओं के जवाब में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दायर किया है। कैविएट एक ऐसा नोटिस होता है, जिसे मुकदमे के पक्षकार द्वारा न्यायालय में प्रस्तुत किया जाता है, ताकि विरोधी पक्ष की याचिका पर स्थगन आदेश जारी होने पर उनकी बात भी सुनी जा सके।

इसके अलावा, भाजपा शासित राज्यों जैसे हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, असम और उत्तराखंड ने भी वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 का बचाव करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।

इस बिल के संसद द्वारा अप्रैल के पहले हफ्ते में पास होने के बाद, कांग्रेस पार्टी ने घोषणा की थी कि वह इस वक्फ बिल (अब राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह वक्फ कानून बन गया है) के खिलाफ चुनौती पेश करेगी। कांग्रेस ने इसे संविधान के मूल ढांचे पर हमला करार दिया, और आरोप लगाया कि यह धर्म के आधार पर देश में ध्रुवीकरण और विभाजन को बढ़ावा देता है।

केंद्र सरकार ने इसका जवाब देते हुए कहा कि इस बिल के लागू होने से करोड़ों गरीब मुसलमानों को फायदा होगा और किसी भी मुसलमान को इससे नुकसान नहीं पहुंचेगा। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने इस पर कहा कि यह कानून वक्फ की संपत्तियों में कोई दखलंदाजी नहीं करेगा और मोदी सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास’ के विजन के तहत काम कर रही है।

कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद ने इस कानून को संविधान के अनुच्छेद 14 (समता का अधिकार), अनुच्छेद 25 (धर्म का पालन और प्रचार करने की स्वतंत्रता का अधिकार), अनुच्छेद 26 (धार्मिक संप्रदायों को अपने धार्मिक मामलों का प्रबंधन करने की स्वतंत्रता का अधिकार), अनुच्छेद 29 (अल्पसंख्यकों के अधिकार) और अनुच्छेद 300-ए का उल्लंघन बताया है।

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस कानून को चुनौती दी है, और इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 25, 26, 29, 30, 300-ए का उल्लंघन और मनमाना बताया है।

इसके अलावा, कई अन्य संगठन और व्यक्ति जैसे एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, आप नेता अमानतुल्लाह खान, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के मौलाना अरशद मदनी, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी), सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग और अन्य ने भी वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है।

‘वक्फ’ एक इस्लामिक कानून और परंपरा के तहत एक मुसलमान द्वारा धर्मार्थ या धार्मिक उद्देश्यों के लिए किए गए दान को संदर्भित करता है, जैसे मस्जिद, स्कूल, अस्पताल या अन्य सार्वजनिक संस्थानों के लिए।

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