मुजफ्फरनगर। जिस धरती पर माँ को ईश्वर से ऊपर माना गया है, वहीं एक माँ ने ऐसी हैवानियत दिखाई कि इंसानियत सिसक उठी। जनपद मुजफ्फरनगर के शहर कोतवाली क्षेत्र में स्थित रुड़की चुंगी चौकी के पास उस वक्त सनसनी फैल गई जब लोगों ने कूड़े के ढेर में एक नवजात बच्ची का शव पड़ा देखा। मासूम कलेजे को चीर देने वाला दृश्य जिसने देखा, उसकी आंखें नम हो गईं और दिल दहल गया।
कूड़े के ढेर में मिली जिंदगी की बेकद्री
सुबह जैसे ही इलाके में रहने वाले कुछ लोग रुड़की रोड के पास सफाई कर रहे थे, अचानक उनकी नजर एक पॉलीथीन में लिपटे मासूम शरीर पर पड़ी। जब उसे खोलकर देखा गया, तो वह एक नवजात बच्ची थी, जिसकी सांसें अब थम चुकी थीं। बच्ची की आंखें बंद थीं, मानो दुनिया को देखे बिना ही विदा हो गई हो।
मौके पर पहुंचे गौ सेवक निशु और पुलिस
घटना की सूचना पर समाजसेवी एवं गौ सेवक निशु ने बताया कि उन्हें किसी गाय के बच्चे की सूचना मिली थी, लेकिन यगा देखा तो एक मानव नवजात बच्ची का शव मिला। उन्होंने तत्काल मौके पर पहुंचे और अत्यंत संवेदनशीलता के साथ बच्ची के शव को वहां से उठाकर सुरक्षित किया। उन्होंने तुरंत रुड़की चुंगी पुलिस चौकी को मामले की जानकारी दी। पुलिस टीम भी मौके पर पहुंची और बच्ची के शव को कब्जे में लेकर आवश्यक कार्रवाई प्रारंभ कर दी है।
अब तक नहीं मिली बच्ची की पहचान
पुलिस द्वारा शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है और जांच की जा रही है, ताकि यह पता चल सके कि इस अमानवीय हरकत को अंजाम देने वाला दरिंदा कौन था। फिलहाल बच्ची की पहचान नहीं हो पाई है।
लगातार मिल रहे नवजात — क्या यह नया ट्रेंड है?
चौंकाने वाली बात यह है कि यह कोई पहली घटना नहीं है। हाल ही में जनपद के जानसठ क्षेत्र में भी एक नवजात बच्चा कचरे के ढेर में जीवित मिला था, जिसे समय रहते बचा लिया गया था। लेकिन आज की यह घटना, जहां बच्ची दम तोड़ चुकी थी, समाज के उस कड़वे सच को उजागर करती है जहां बेटियां आज भी बोझ मानी जाती हैं।
समाज के लिए एक आइना…
‘कोई माता भी कुमाता हो सकती है’ — यह सिर्फ एक पंक्ति नहीं, बल्कि एक ज़िंदा सवाल है उस मानसिकता पर जो बेटा-बेटी में फर्क करती है, जो नवजात को जन्म देते ही कूड़े में फेंक देती है। वह कौन थी? क्या मजबूरी थी? या ये मानसिक विकृति? इन सवालों का जवाब मिलना बाकी है।
अब क्या करेगी पुलिस?
पुलिस ने सभी इलाकों में खोजबीन तेज कर दी गई है। अस्पतालों, दवाइयों की दुकानों और नर्सिंग होम से भी जानकारी जुटाई जा रही है, जिससे यह पता लगाया जा सके कि हाल ही में किसी महिला ने डिलीवरी करवाई थी या कहीं से कोई संदिग्ध गतिविधि देखी गई हो। बच्ची तो चली गई, लेकिन समाज के लिए कई सवाल छोड़ गई। क्या उसकी मौत किसी की मानसिक गरीबी का परिणाम थी या समाज की संवेदनहीनता का?