संयुक्त राष्ट्र। ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर अमेरिकी हमलों के विरोध में पाकिस्तान ने अमेरिका को बड़ा कूटनीतिक झटका दिया है। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के बीच व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात के बाद दोनों देशों के संबंधों में नजदीकी आने की अटकलें तेज हो गई थीं। लेकिन पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ईरान के मुद्दे पर अमेरिका के खिलाफ जाकर चीन और रूस का खुलकर समर्थन किया है।
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि असीम इफ्तिखार अहमद ने रविवार को आयोजित आपात बैठक में कहा, “इस्लामाबाद ईरानी परमाणु प्रतिष्ठानों पर अमेरिका की ओर से किए गए हमलों की कड़ी निंदा करता है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान चीन और रूस के साथ मिलकर सुरक्षा परिषद में एक प्रस्ताव का मसौदा पेश कर रहा है, जिसका उद्देश्य अमेरिका के कदमों की निंदा करना और उन्हें खारिज करना है।
यह आपात बैठक ईरान के अनुरोध पर बुलाई गई थी, जब अमेरिका ने 13 जून को ईरान के फोर्डो, नतांज और इस्फाहान स्थित परमाणु केंद्रों पर हवाई हमले किए। ईरान ने इन हमलों को अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का गंभीर उल्लंघन बताया था।
पाकिस्तानी प्रतिनिधि ने कहा, “सुरक्षा परिषद को इन हमलों की स्पष्ट रूप से निंदा करनी चाहिए, क्योंकि ये अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) द्वारा संरक्षित परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमले हैं, जो अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून और सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन करते हैं।”
अहमद ने साथ ही इजरायल की ओर से क्षेत्र में किए गए किसी भी प्रकार के सैन्य हस्तक्षेप की भी कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा, “हम ईरान के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन करते हैं और चीन तथा रूस के साथ मिलकर क्षेत्रीय शांति के लिए काम करेंगे।”
पाकिस्तान का यह रुख अमेरिका के लिए विशेष रूप से असहज करने वाला है, क्योंकि हाल ही में ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तानी सेना के साथ सामरिक साझेदारी बढ़ाने के संकेत दिए थे। असीम मुनीर की वाशिंगटन यात्रा को भी इसी रणनीति का हिस्सा माना गया था, लेकिन ईरान के मुद्दे पर पाकिस्तान की इस मुखर स्थिति ने अमेरिका-पाक रिश्तों में एक नई जटिलता जोड़ दी है।
इस घटनाक्रम से स्पष्ट है कि इस्लामाबाद अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर स्वतंत्र विदेश नीति की दिशा में आगे बढ़ रहा है, जिसमें क्षेत्रीय ताकतों — चीन और रूस — के साथ उसकी नजदीकी अहम भूमिका निभा रही है।