मुजफ्फरनगर। मानसून की पहली बारिश ने सावन से पहले ही सावधान कर दिया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में कांवड़ यात्रा के मुख्य मार्ग रुड़की रोड पर पानी ने ऐसा डेरा जमाया कि आमजन की तकलीफें आसमान छूने लगीं। दो फीट तक भरा पानी और उसमें फंसी ज़िंदगी- ये तस्वीरें अब प्रशासनिक दावों का आईना बन गई हैं।
सेलिब्रेशन बैंक्वेट हॉल से लेकर कृष्ण पैलेस तक का हिस्सा लबालब है। ये सिर्फ एक सड़क नहीं, गांव और शहर के बीच की धड़कन है—इलाज की उम्मीद, शिक्षा की राह और आस्था की डगर सब यहीं से गुजरती है।
लेकिन आज? कीचड़, बदबू और जलभराव ने इन रास्तों को नहीं, बल्कि उम्मीदों को बंद कर दिया है।
कुछ ही दिनों में लाखों कांवड़िए हरिद्वार से जल लेकर इसी मार्ग से गुजरेंगे। क्या वे भी इसी दलदल और अव्यवस्था का सामना करेंगे? क्या श्रद्धा का मार्ग ऐसा ही दिखेगा?
प्रशासन कहता है कि वह सजग है, लेकिन सवाल पूछता है —क्या सजगता की यही परिभाषा है कि पहली बारिश में शहर घुटने तक डूब जाए?
जलभराव की तस्वीरें यह साफ दिखा रही हैं कि नालों की सफाई कागजों पर हुई, फील्ड में नहीं। नगर पालिका की तमाम तैयारियां पहली ही फुहार में बह गईं।
हाल ही में जब मीडिया ने नगर पालिका अध्यक्ष से पूछा – “अपने 5 काम बता दीजिए…“ तो जवाब में खामोशी ज़्यादा भारी थी।
हर साल मीटिंग, हर साल दावे, और हर साल वही हालात। फर्क सिर्फ इतना है कि अब जनता की सहनशक्ति जवाब देने लगी है।
कांवड़ यात्रा सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, प्रशासनिक परीक्षा भी है।
और पहली बारिश ने बता दिया – अभी तो बहुत तैयारी बाकी है।